आखिर कैसे हुई राधा रानी की मृत्यु ?

जब भी प्रेम की बात होती है तो राधा और श्री कृष्ण के प्रेम की मिसाल सबसे पहले आती है। राधा श्री कृष्ण के प्रेम को युवात्मा और परमात्मा का मिलन कहा जाता है।‌ बोला जाता है श्रीकृष्ण को केवल दो ही चीजों से सबसे ज्यादा प्रेम था यह दोनों चीजें आपस में एक दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई थी वह थी बांसुरी और राधा लेकिन किसी को यह नहीं पता कि राधा जी की मृत्यु कैसे हुई।

कृष्ण जी के वृंदावन छोड़ते समय, क्या बोला था राधा जी ने, कहां गए थे कृष्ण जी वृंदावन के बाद

आइए जानते हैं , कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद से ही राधा का वर्णन बहुत कम हो गया था। राधा और कृष्ण जब आखिरी बार मिले थे तो राधा ने कृष्ण से कहा था भले ही कृष्ण उनसे दूर जा रहे हैं पर मन से कृष्ण हमेशा उनके साथ हैं। इसके बाद कृष्ण मथुरा गए और कंस और बाकी राक्षसों को मारने का काम पूरा किया। इसके बाद प्रजा की रक्षा के लिए श्री कृष्ण द्वारका चले गये और द्वारकाधीश के नाम से लोकप्रिय हुए।
राधा जी का वैवाहिक जीवन और राधा जी के द्वारका पहुंचने के बाद

जब कृष्ण वृंदावन से निकल गए तो राधा की जिंदगी ने अलग ही मोड़ ले लिया था राधा की शादी एक यादव से हो गई थी। राधा ने अपने दंपत जीवन की सारी रस्में निभाई और बूढ़ी हो गई लेकिन उनका मन तब भी कृष्ण के लिए समर्पित था। राधा ने पत्नी के तौर पर अपने सारे कर्तव्य पूरे किए और दूसरी तरफ कृष्ण ने अपना देव्य कर्तव्य निभाया। सारे कर्तव्य से मुक्त होने के बाद राधा पहली बार अपने प्रेम कृष्ण से मिलने गई तब वहां द्वारका पहुंची तो उन्होंने कृष्ण के साथ रुक्मणी के विवाह की खबर सुनी लेकिन वह दुखी नहीं हुई । जब कृष्ण ने राधा को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुए दोनों ने संकेतों की भाषा में एक-दूसरे से काफी देर तक बात करी। राधा जी को कान्हा की नगरी द्वारका में कोई नहीं पहचानता था । राधा के अनुरोध पर कृष्ण ने उन्हें महल में देविका के रूप में नियुक्त किया। राधा दिन भर महल में रहती थी और महल से जुड़े कार्य देखती थी और मौका मिलते ही वह कृष्ण के दर्शन कर लेती थी।

कृष्ण की प्रेम बांसुरियां सुन, भई वो प्रेम दीवानी जब जब कान्हा मुरली बजाई दौड़ी आए राधा रानी।  

राधा जी ने क्यों द्वारका छोड़ा श्री कृष्ण जी ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी

राधा श्री कृष्ण के साथ पहले की तरह का आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस नहीं करती थी। इसीलिए राधा ने महल से दूर जाना तय किया उन्होंने सोचा कि वह दूर जाकर दोबारा श्री कृष्ण के साथ गहरा आत्मिक संबंध स्थापित कर पाएंगी। उन्हें नहीं पता था कि वह कहां जा रही है पर श्री कृष्ण जानते थे , धीरे-धीरे समय बीता तो राधा बिल्कुल अकेली और कमजोर हो गई। उस वक्त उन्हे भगवान श्री कृष्ण की आवश्यकता पड़ी। आखिरी समय में भगवान श्रीकृष्ण उनके सामने आ गए , कृष्ण ने राधा से कहा कि वह उनसे कुछ मांगे लेकिन राधा ने मना कर दिया , कृष्ण के दोबारा अनुरोध करने पर राधा ने कहा वह आखरी बार उन्हें बांसुरी बजाते देखना चाहती हैं। श्री कृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद सुरीली धुन में बांसुरी बजाने लगे श्री कृष्ण ने दिन-रात बांसुरी बजाई जब तक राधा आध्यात्मिक रूप से कृष्ण में विलीन नहीं हो गई। बांसुरी की धुन सुनते सुनते राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया। हालांकि भगवान कृष्ण जानते थे कि उनका प्रेम अमर है उसके बावजूद वह राधा की मृत्यु बर्दाश्त नहीं कर सके। कृष्ण ने प्रेम के प्रति बांसुरी तोड़कर झाड़ियों में फेंक दी । उसके बाद कृष्ण ने जीवन भर बांसुरी या कोई अन्य वाद्य यंत्र नहीं बजाया ।‌

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